सुनहरी
उड़ान
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सुनहरे
पंखो वाली तितली,
तुझे
उड़ने की चाह है।
अनगिनत
अनजाने राह में,
तुझे
खिलने की चाह है।
तु
परिंदा मनचली हो,
सुहाने
सपने बुनने की चाह है।
उड़
जा उड़ती रहना नील गगन में,
तेरा
रंग बिखरा है जहान में,
तुझे
रंग में रगने की चाह है।
जा
जा चूम ले गगन को ,
हवाओं
में झूमने की चाह है।
सुनहरी
राहें राह देख रही तेरी,
तुझे
तेरी मंजिल पाने की चाह है।
सिंघासन
पुकार रहा है तुझे,
कब
से तुझे इसे पाने की चाह है।
वक्त
आया है तेरा तुझे बस ,
सुनहरे
पंखो से उड़ान भरने का इंतजार
है।
सरिता
प्रसाद
03-01-2017
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