माँ
तू शीतल ठंडी हवा का झोंका
तेरी आँचल की छाँव में वह सुकून
जिसे पाने को दिल मचलता है।
जिसे पाने को दिल मचलता है।
तरपता सिसकता मायूसियों में
जीये चला जाता हूँ।
नरम हाथों का वह एहसास मन को
झकझोरता हुआ यह कहता है।
कहाँ है तू जिसे दिल ढूँढता है
कहाँ खो गयी किन बादलों में
गुम हो गयी।
एक सिसकियों में मचल जाती थी जो
खुद को छुपा रखा है
किसी अनजान शहर में।
सरिता प्रसाद
31-12-2016
31-12-2016