सरितप्रवाह कृति:
अपनों की पहचान
...: अपनों की पहचान पहचानो तुम्हारा , कौन है रक्षक पहचानो तुम्हारा , कौ...
Friday 24 August 2018
अपनों की पहचान
पहचानो तुम्हारा, कौन है रक्षक
पहचानो तुम्हारा, कौन है भक्षक
भटक रहे हो तुम सब रास्ते से
कर रहे हो उनको ही चोटिल
जो है, तुम्हारा हित चाहने वाला
जो है, तुम्हारा ही रखवाला
जीस देश के, तुम सब वासी
उसी देश का वो भी वासी
फिर कैसे वो तुम्हारा दुश्मन
आँखों पर से पट्टी हटाओ
सही साथी को तुम पहचानों
दुश्मन के बहकावे में न आकर
कौन है अपना कौन पराया
वास्तविक रूप इनकी पहचानों
यह देश तुम्हारा हम हैं तुम्हारे
अपने को अलग – थलग न मानों
इसकी मिट्टी के रंग में, तुम सब रंग जाओ
विरोध करो उन हिंसक लोगों का
इन संग खुद को हिंसक न बनाओ
नौजवान इस देश के हो तुम सब
देश के हित कुछ करके दिखाओ
चलो हर कदम सही रास्ते पर
जीवन को अपने व्यर्थ न गंवाओ
आतंकियो, का मकसद है
इस देश में आतंक फैलाना
इनके मोहरे तुम सब न बनकर
असली - नकली को पहचानकर
सही राह तुम सब अपनाओ
छोड़ – छाड़ कर पत्थरबाजी
मिलकर सेना का हाथ बटाओ
देश रक्षा हित योगदान देकर
अपने जीवन को सार्थक बनाओ
सरिता प्रसाद
Wednesday 15 August 2018
सरितप्रवाह कृति: भीड़तंत्र
सरितप्रवाह कृति: भीड़तंत्र: भीड़तंत्र आज अनगिनत लोग भीड़तंत्र रूपी हिंसा के शिकार हो रहें हैं राजनीतिक हो या संस्कृति के अफवाहों के हो या जातिवाद के भिन्न ...
स्वतंत्रता दिवस
स्वतंत्रता दिवस
आज धरती पर छाई
हरियाली है
और अम्बर हुआ है
केसरिया
श्वेत रंग हर
दिल में बसा है
आई शुभ घड़ी आई
आओ स्वतंत्रता
दिवस मनाएँ
प्राणों से
प्यारा तिरंगा फहराए
भुलकर भेद भाव को हम सब
समय चक्र में लिपटा भारत
उथल – पुथल को झेल रहा है
फिर भी कैसे संभल – संभलकर
हर पग – पग पर, चल रहा है
अद्भुत देश, वासी है अद्भुत
सब्र बाँध को न खोकर यह
फुक – फुक कर कदम – कदम पर
अडिग खड़ा है यह स्व पथ पर
बाँधकर, मुट्ठी एकत्व का
अपने भारत को जोड़े खड़ा है
सदा रहना यूँ ही अविचल तू
तूफानों से मत घबड़ाना
उथल – पुथल से मत डर जाना
कभी किसी बहकावे में आकर
अपनी हस्ती को नहीं मिटाना
दिखाकर ताकत, अपनी एकता का
दुर्जनों को धूल चटाना
आई देखो शुभ घड़ी है आई
भुलकर सारे गिले – शिकवे को
देश भक्ति के रंग, रंग जाएँ
मिलजुल कर सब प्रेम भाव से
राष्ट्रीय पर्व का जश्न मनाएँ
क्योंकि
आज धरती पर
छाई हरियाली है
और अम्बर
हुआ है केसरिया
श्वेत रंग
हर दिल में बसा है
आई शुभ घड़ी
आई
आओ
स्वतंत्रता दिवस मनाएँ
आँखों का
तारा तिरंगा लहराएँ
सरिता प्रसाद
Wednesday 8 August 2018
निर्वासित
निर्वासित
आज अपने ही देश में
बेगाने हो गए हैं
कभी अपने थे जो
आज पराए हो गए हैं
बस्ती थी कभी
बड़े ही प्यार से रहते थे
दिलो जान से जिसे
अपना समझते थे
आज अचानक एक झटके में
सब बेगाने हो गए हैं
मिट गए निशान जो कभी थे
रेत पर सागर के लहरों के
अब तो यहीं ठिकाना है अपना
अब तो यहीं बसेरा है अपना
रोकना था उस दिन
सीमा पर कदम रखने से पहले
टोकना था उस दिन बस्ती बसाने से पहले
आखिर अब हम कहाँ जाएँ
कहाँ अपनी गृहस्थी बसाएँ
हजारों सवाल के घेरे में फंसे हैं हम
बेगाने तो हो ही गए थे
देश से निर्वासित भी होने को हैं हम
सरिता प्रसाद
Saturday 4 August 2018
बढ़ता मनोबल
बढ़ता मनोबल
बढ़ रहा है
हौसला अब
दिन-ब-दिन
आतंकवादियों का
बनाकर
हमारी सेना को निशाना
रुख कर
रहे हैं उनके घरों का
हो रहा है
छलनी सीना
इन हरकतों
से जवानों का
ऐसी हरकत
परास्त कर रहा
हिम्मत भी
हमारे जवानों का
कैसे
करेंगें यह सामना
इन आतंकी
गतिविधियों का
कैसे
डटेंगे यह सीमा पर
साहस और
बुलंदी के संग
गिरि हुई
इरादों से अपने
कर रहे
हैं हमारा जड़ कमजोर
होगा कैसे
सुरक्षा देश का
जब रक्षक
हो जाए कमजोर
चकनाचूर
कर रहे है हौसलों का
युद्ध से
पूर्व ही कर रहे परास्त
सरिता प्रसाद
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