साधु या
ढोंगी
साधु संत का चोला पहनकर,
धर्म का आडम्बर रचनेवाले।
धर्म की आर में छुपकर,
भ्रष्ट कर्म करने वाले ।
ढोंगी जो देश का कलंक है,
भोली - भाली जनता को,
बरगलाकर मीठी बोल बोलकर,
धर्म रूपी नकाब पहनाकर,
उनके भावनाओं से खेलनेवाले।
जनता के द्वारा दिये हुए पैसे से,
जनता को ठगकर राज करनेवाले।
जनता के वक्त भावनाओं और,
उनके पैसों से खेलने वाले।
धर्म के नाम पर अपनी सुरक्षा हेतु,
विरोधी फौज खड़ी करनेवाले।
देश में अराजकता फैलानेवाले।
अपने ऐशो आराम अपने शौक हेतु,
चेहरे पर धर्म रूपी मुखौटे लगाकर,
भोली – भाली जनता को ठगनेवाले।
बनते हैं धर्मनिष्ठ अंत:पुर को,
भगवान का गृह बताकर,
भगवान के रूप का ढोंग रचाकर,
नारियों के अस्मत से खेलनेवाले।
इस देश में रहकर बहू बेटियों पर,
अपनी बुरी निगाह रखने वाले ।
धर्म के नाम को बदनाम करनेवाले।
देश से ऐसे दरिंदों का खात्मा करना
होगा ।
इनको इनके किए का सजा भुगतना होगा ।
तभी हमारे देश से ऐसे अराजक तत्वों
का,
पूर्ण रुपेऐसे कचड़ों का सफाया कर,
देश सही रूप से,
स्वच्छता अभियान में सफल होगा।
सरिता प्रसाद
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