Thursday 25 January 2018

सरितप्रवाह कृति: गणतंत्र दिवस  आज धरती पर छाई हरियालीआज अम्बर भी ...

सरितप्रवाह कृति: गणतंत्र दिवस

 आज धरती पर छाई हरियालीआज अम्बर भी ...
: गणतंत्र दिवस   आज धरती पर छाई हरियाली आज अम्बर भी हुआ केसरिया सबके दिलों में श्वेत बसा है  दिवस  सुहाना  है आया आज गण...
गणतंत्र दिवस


 आज धरती पर छाई हरियाली
आज अम्बर भी हुआ केसरिया
सबके दिलों में श्वेत बसा है
 दिवस  सुहाना  है आया
आज गणतंत्र दिवस है आया
देशभक्ति की हवा चली है
सबका मन है रंगाया
आज गणतंत्र दिवस है आया
भारत माँ आज चहक उठी है
श्वेत केसरिया हरित रंगो में
रंगा देख अपने सपूतों को
माँ का मन है हर्षाया
आज गणतंत्र दिवस है आया
आओ राष्ट्र का गान करें हम
वीर सपूतों को नमन करें हम
जिन्होनें देशहित जान गँवाया  
आज गणतंत्र दिवस है आया
आओ मिलकर शपथ उठाएँ  
शांति सुव्यवस्था देश में लाएँ  
भ्रष्टाचार्य बेरोजगारी मिटाकर
एक नया साम्राज्य बसाएँ  
भारत माँ का सच्चे सपूत बन
हम सब अपना फर्ज निभाएँ  
देख तिरंगा मन हर्साया
आज गणतंत्र दिवस है आया
आज धरती पर छाई हरियाली
आज अम्बर भी हुआ केसरिया
सबके दिलों में श्वेत बसा है
दिवस सुहाना  है आया
आज गणतंत्र दिवस है आया ।  


सरिता प्रसाद



सरितप्रवाह कृति: पद्मावतीया देशहित न होया एक संगठन हित न होगर भ...

सरितप्रवाह कृति: पद्मावती



या देशहित न होया एक संगठन हित न होगर भ...
: पद्मावती या देशहित न हो या एक संगठन हित न हो गर भारतीय संस्कृति के विरुद्ध हो तो उसका तिरस्कार करना ही बेहतर गर विरोधाभ...
पद्मावती




या देशहित न हो
या एक संगठन हित न हो
गर भारतीय संस्कृति के विरुद्ध हो
तो उसका तिरस्कार करना ही बेहतर
गर विरोधाभास के विपरीत हो
सामंजस्य बिठा रास्ता निकालना ही बेहतर
देश में न अराजकता फैले
आपस में न तनाव हो
शांति व्यवस्था बाधित न हो
ऐसी व्यवस्था करना ही बेहतर
जिससे हमारे संस्कृति का मान रहे
एक संगठन का सम्मान रहे
न हो छत विछत अर्थव्यवस्था
न ही कोई व्यवधान रहे
धरोहर है जो हमारे मान है
क्यों कुरेदे उनका अतीत
जिससे आंतरिक उथल पुथल हो
न छेड़ो तुम ऐसी तान
जिससे राष्ट्र की शांति न भंग हो
कुछ तो ऐसा काम करो
झेल रहा कितने ही वर्षों से देश अपना
बाहरी आतंक और उथल पुथल
छोड़  दे सारी खींचातानी
सारी बातें है बेमानी
बाहर से लाख कोई आतंक मचाए
अपने घर मे शांति रहे ।

सरिता प्रसाद


Wednesday 17 January 2018

सरितप्रवाह कृति: बर्फीली सर्दी

सरितप्रवाह कृति: बर्फीली सर्दी: बर्फीली सर्दी कहीं बर्फ की चादर बिछ गई ठंडी - ठंडी हवा चली कहीं बर्फ की चादर बिछ गई ठंडी - ठंडी हवा चली अस्त - व्यस्त हुआ जनजीवन...

बर्फीली सर्दी

बर्फीली सर्दी
कहीं बर्फ की चादर बिछ गई
ठंडी - ठंडी हवा चलीImage result for images of slazing in barfili vadi
कहीं बर्फ की चादर बिछ गई
ठंडी - ठंडी हवा चली
अस्त - व्यस्त हुआ जनजीवन
सर्दी गलन की कहर बढ़ी
मजा आ गया शैलानियों को
मौज - मस्ती की दौर चली
शहर - शहर से भ्रमण को आए
सफ़ेद चादर से ढकी धरा
बच्चों ने खेले गोले बनाकर
कूद भाग हुड़दंग मचाकर
मनोरम कर दिया वन उपवन
कितना सुंदर कितना सजीला
धरती का यह रूप रुपहला
ठिठुरन के संग मस्ती छाई
शैलानियों के मन भरमाई
आई मनोरम सर्दी आई
कहीं बर्फ की चादर बीछ गई
ठंडी - ठंडी हवा चली


सरिता प्रसाद 

Wednesday 3 January 2018

सरितप्रवाह कृति: सरितप्रवाह कृति: श्रद्धांजलि

सरितप्रवाह कृति: सरितप्रवाह कृति: श्रद्धांजलि: सरितप्रवाह कृति: श्रद्धांजलि : श्रद्धांजलि जीते तो  हैं सभी अपने लिए अपनों के ल...

न्याय व्यवस्था

न्याय व्यवस्था 


ये कैसी न्याय व्यवस्था है
जहाँ दुराचारी बेलगाम घूम रहे हैं
दुष्प्रवृतियों की बेइन्तहाँ हो गई है
असुरक्षा जहाँ घर कर गई है
जहाँ आतताई दिन दहाड़े
गोली बारी कर रहे हैं
ये कैसी न्याय व्यवस्था है
मनचले खुलेआम मनमानी कर रहे हैं
न कोई रोक है न कोई टोक है ...
जहाँ हर नारी असुरक्षित है
जहाँ प्रत्येक स्त्री ही भयग्रस्त है
ये कैसी न्याय व्यवस्था है
स्वतंत्रा सिर्फ नाम की रह गई है
नारी को अबला समझ
कभी इस गली कभी उस शहर
उसके अस्मत से खेल
उसकी हत्या भी कर रहे हैं
ये कैसी न्याय व्यवस्था है
श्री कृस्ण राम की नगरी में
जहाँ नारी का सम्मान नहीं
उस ऋषि  मुनियों कि भूमि के
सम्मान का जाने क्या होगा
 वेदों के ज्ञान से सिंचित
इस देश का जाने क्या होगा
उस आने वाले नव सृजन के
स्वर्णिम भविष्य का जाने क्या होगा
ये  कैसी न्याय व्यवस्था है
सरिता प्रसाद