Monday 31 December 2018

सरितप्रवाह कृति: नववर्ष की शुभ कामनाएँशुभ आगमन हे नव वर्षसु...

सरितप्रवाह कृति:






नववर्ष की शुभ कामनाएँ
शुभ आगमन हे नव वर्षसु...
: नववर्ष की शुभ कामनाएँ शुभ आगमन हे नव वर्ष सुस्वागतम हे नूतन वर्ष अति शुभ अति सुख तुझमे हो निहित प्रगति पथ पर हो जीवन ...







नववर्ष की शुभ कामनाएँ

शुभ आगमन हे नव वर्ष
सुस्वागतम हे नूतन वर्ष
अति शुभ अति सुख
तुझमे हो निहित
प्रगति पथ पर हो जीवन पथ
सुख समृद्धि का वास रहे
खुशियों की फुलझड़ियाँ छूटे
हर घर आँगन हो रौनक मय
मन उपवन हो हर हरा भरा
रोग रहित हो जग सारा
शांति अमन का वास रहे
हर्ष रहे उल्लास रहे
नित प्रस्फुटित हो
सुख सुमन
हर घर आँगन
उपवन मधुवन
हर समस्याओं का निदान रहे
मान बढ़े सम्मान बढ़े
सारी आशाएँ पुरी हो
हर आकांक्षाएँ पुरी हो
शुभ आगमन हे नव वर्ष
सुस्वागतम हे नूतन वर्ष
सरिता प्रसाद

Monday 1 October 2018

सरितप्रवाह कृति: बापू

सरितप्रवाह कृति: बापू: बापू एक अद्भुत पथ प्रवर्तक अहिंसा के पथिक अकल्पनीय चिंतक जो मानव मात्र के लिए समर्पित कड़क रूढ़िवादी आधुनिकता ...

बापू








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बापू
एक अद्भुत पथ प्रवर्तक
अहिंसा के पथिक
अकल्पनीय चिंतक
जो मानव मात्र के लिए समर्पित
कड़क रूढ़िवादी
आधुनिकता से परे
संघर्षशील व्यक्तित्व
अहिंसा का पथ प्रदर्शक
जीसस,बुद्ध,कार्लमार्क्स की तरह
एकजुट हो जीना सिखाया
प्रथम गाँधी राजनीतिज्ञ गाँधी
ब्रिटिश शासन के विरुद्ध
अहिंसा के बल पर लड़ना सिखलाया
जिसके कारण वो महानपुरुष
राष्ट्र पिता बापू कहलाए
द्वितीय गाँधी आश्रमिक बनकर
रहस्यवादी राजनीति सिखलाया
उपवास नियम अपनाकर
संघर्षशील होना सिखलाया
अपने अद्भुत कृत्य के कारण
वो महान आत्मा कहलाए
अद्भुत सत्यवादी बनकर
वो, सत्याग्रही कहलाए
जीवन का सत्य यही
अध्यात्म अनुभव बिन कुछ भी नहीं
संघर्ष विहीन किसी भी
असत्य और अन्याय को
मात देना संभव नहीं
संवादात्मक चिंतक
सोच जिसकी क्षितिज के परे थी
ईश्वरीय पथ के प्रति विशेषाधिकार का
वो अक्सर विरोधी रहे
आजादी का मतलब क्या है
अच्छी तरह समझते जो
न संवैधानिकता का अधिकार
स्वतंत्र रूप से सामान्य मानवता का
अधिकार दिलाना सिखलाया
विश्व मे गाँधी के विचारों का
आज भी कई प्रशंसक है
नैतिक सामाजिक राजनीतिक
पुननिर्माण बड़ा ही प्रासंगिक था
मानविक रूप से स्वपरिवर्तन ही
उनका मोहक सपना था
नैतिक दृष्टिकोण के बिना
असंभव स्वतन्त्रता है
गाँधीजी के रूप मे उनका
जीवन एक संदेश है
विस्तृत किया हो जिन्होने
अक्सर अपनी कोशिश को
सत्याग्रह के रूप में जिसने
गति दिया हर जीवन को
कम समय के आध्यात्मिक नेता ने
ऐसा चमत्कार कर दिखलाया
अंततोगत्वा अहिंसा के बल पर
भारत को स्वतन्त्रता दिलवाया

सरिता प्रसाद

Wednesday 19 September 2018

उपलब्धि


उपलब्धि
जैव इंधन की उपयोगिता
सचमुच एक बड़ी उपलब्धि है
प्रथम प्रयास में ही इसने
एक बड़ी सफलता पाई है
सफल रहा यूँ ही अगर तो
बहुत बड़ी उपलब्धि होगी
खड़ा हो रहा है देश आज अपना
उन विकसित देशों के कतारों में
पर्यावरण और अर्थव्यवस्था पर
अब तक जो धुंध छाया था
इन सभी का सफाया होकर
नई संभावनाएं जागेगी
डीजल के विकल्प के रूप में
यह सामने खड़ा होगा
बंजर जमीन से सिर पकड़े किसानों को
भी इससे राहत होगी
भारतीय विमान सेवा में भी
अद्भुत क्रांति का आगाज होगा
प्रदूषण मुक्त होगा भारत अपना
अनगिनत क्षेत्रों में उदय होगा
सरिता प्रसाद

Friday 14 September 2018

सरितप्रवाह कृति: हिन्दी दिवस

सरितप्रवाह कृति: हिन्दी दिवस: हिन्दी दिवस हिन्दी ही हमारा आधार है इसमे ही है छुपा हुआ संस्कृति और संस्कार है भले ही पाश्चात देशों ने जाते – जाते हम पर भी छ...

हिन्दी दिवस


हिन्दी दिवस
हिन्दी ही हमारा आधार है
इसमे ही है छुपा हुआ
संस्कृति और संस्कार है
भले ही पाश्चात देशों ने
जाते – जाते हम पर भी
छाप छोड़ गए है अपनी
पूर्ण रुपेण हावी होने को
जो अब भी तैयार है
परंतु हमे अपने अस्तित्व को
यूँ ही नही खोना होगा
इसे बचाए, रखने को
अथक प्रयास करना होगा
हिन्दी भाषा आज भी कई क्षेत्रों में
दिखा रही है अपनी प्राथमिकता
मातृभाषा का यह महत्व देख
सचमुच मन हर्षाता है
हमें अपनी पहचान को यूँ ही
धूमिल नही होने देना होगा
बल्कि इसके प्रचार प्रसार में
अद्भुत योगदान देना होगा
इसे प्रफुल्लित प्रोत्साहित करने को
अथक प्रयास करना होगा
सरिता प्रसाद

Friday 24 August 2018

सरितप्रवाह कृति: अपनों की पहचान...

सरितप्रवाह कृति:




अपनों की पहचान
...
: अपनों की पहचान पहचानो तुम्हारा , कौन है रक्षक पहचानो तुम्हारा , कौ...





अपनों की पहचान

पहचानो तुम्हारा, कौन है रक्षक
पहचानो तुम्हारा, कौन है भक्षक
भटक रहे हो तुम सब रास्ते से
कर रहे हो उनको ही चोटिल
जो है, तुम्हारा हित चाहने वाला
जो है, तुम्हारा ही रखवाला
जीस देश के, तुम सब वासी
उसी देश का वो भी वासी
फिर कैसे वो तुम्हारा दुश्मन
आँखों पर से पट्टी हटाओ
सही साथी को तुम पहचानों
दुश्मन के बहकावे में न आकर
कौन है अपना कौन पराया
वास्तविक रूप इनकी पहचानों
यह देश तुम्हारा हम हैं तुम्हारे
अपने को अलग – थलग न मानों
इसकी मिट्टी के रंग में, तुम सब रंग जाओ
विरोध करो उन हिंसक लोगों का
इन संग खुद को हिंसक न बनाओ
नौजवान इस देश के हो तुम सब
देश के हित कुछ करके दिखाओ
चलो हर कदम सही रास्ते पर
जीवन को अपने व्यर्थ न गंवाओ
आतंकियो, का मकसद है
इस देश में आतंक फैलाना
इनके मोहरे तुम सब न बनकर
असली - नकली को पहचानकर
सही राह तुम सब अपनाओ
छोड़ – छाड़ कर पत्थरबाजी
मिलकर सेना का हाथ बटाओ
देश रक्षा हित योगदान देकर
अपने जीवन को सार्थक बनाओ


सरिता प्रसाद 



Wednesday 15 August 2018

सरितप्रवाह कृति: भीड़तंत्र

सरितप्रवाह कृति: भीड़तंत्र: भीड़तंत्र आज अनगिनत लोग भीड़तंत्र रूपी हिंसा के शिकार हो रहें हैं   राजनीतिक हो या संस्कृति के अफवाहों के हो या जातिवाद के भिन्न ...

स्वतंत्रता दिवस


स्वतंत्रता दिवस



आज धरती पर छाई हरियाली है
और अम्बर हुआ है केसरिया
श्वेत रंग हर दिल में बसा है
आई शुभ घड़ी आई
आओ स्वतंत्रता दिवस मनाएँ
प्राणों से प्यारा तिरंगा फहराए

भुलकर भेद भाव को हम सब
समय चक्र में लिपटा भारत
उथल – पुथल को झेल रहा है
फिर भी कैसे संभल – संभलकर
हर पग – पग पर, चल रहा है
अद्भुत देश, वासी है अद्भुत
सब्र बाँध को न खोकर यह
फुक – फुक कर कदम – कदम पर
अडिग खड़ा है यह स्व पथ पर
बाँधकर, मुट्ठी एकत्व का
अपने भारत को जोड़े खड़ा है
सदा रहना यूँ ही अविचल तू
तूफानों से मत घबड़ाना
उथल – पुथल से मत डर जाना
कभी किसी बहकावे में आकर
अपनी हस्ती को नहीं मिटाना
दिखाकर ताकत, अपनी एकता का
दुर्जनों को धूल चटाना
आई देखो शुभ घड़ी है आई
भुलकर सारे गिले – शिकवे को
देश भक्ति के रंग, रंग जाएँ
मिलजुल कर सब प्रेम भाव से
राष्ट्रीय पर्व का जश्न मनाएँ
क्योंकि
आज धरती पर छाई हरियाली है
और अम्बर हुआ है केसरिया
श्वेत रंग हर दिल में बसा है
आई शुभ घड़ी आई
आओ स्वतंत्रता दिवस मनाएँ
आँखों का तारा तिरंगा लहराएँ
सरिता प्रसाद



Wednesday 8 August 2018

निर्वासित


निर्वासित
आज अपने ही देश में
बेगाने हो गए हैं
कभी अपने थे जो
आज पराए हो गए हैं
बस्ती थी कभी
बड़े ही प्यार से रहते थे
दिलो जान से जिसे
अपना समझते थे
आज अचानक एक झटके में
सब बेगाने हो गए हैं
मिट गए निशान जो कभी थे
रेत पर सागर के लहरों के
अब तो यहीं ठिकाना है अपना
अब तो यहीं बसेरा है अपना
रोकना था उस दिन
सीमा पर कदम रखने से पहले
टोकना था उस दिन बस्ती बसाने से पहले
आखिर अब हम कहाँ जाएँ
कहाँ अपनी गृहस्थी बसाएँ
हजारों सवाल के घेरे में फंसे हैं हम
बेगाने तो हो ही गए थे
देश से निर्वासित भी होने को हैं हम
सरिता प्रसाद


Saturday 4 August 2018

बढ़ता मनोबल


बढ़ता मनोबल
बढ़ रहा है हौसला अब
दिन-ब-दिन आतंकवादियों का
बनाकर हमारी सेना को निशाना
रुख कर रहे हैं उनके घरों का
हो रहा है छलनी सीना
इन हरकतों से जवानों का
ऐसी हरकत परास्त कर रहा
हिम्मत भी हमारे जवानों का
कैसे करेंगें यह सामना
इन आतंकी गतिविधियों का
कैसे डटेंगे यह सीमा पर
साहस और बुलंदी के संग
गिरि हुई इरादों से अपने
कर रहे हैं हमारा जड़ कमजोर
होगा कैसे सुरक्षा देश का
जब रक्षक हो जाए कमजोर
चकनाचूर कर रहे है हौसलों का
युद्ध से पूर्व ही कर रहे परास्त
सरिता प्रसाद

Friday 27 July 2018

भीड़तंत्र


भीड़तंत्र
आज अनगिनत लोग
भीड़तंत्र रूपी हिंसा के शिकार हो रहें हैं  
राजनीतिक हो या संस्कृति के
अफवाहों के हो या जातिवाद के
भिन्न – भिन्न कारणो के हत्थे चढ़ रहें हैं
आज अनगिनत लोग
भीड़तंत्र रूपी हिंसा के शिकार हो रहें हैं
कभी डायन के नाम पर
कभी बच्चा चोरी के नाम पर
कभी चोरी, जेबकतरे
तो कभी गोवंश व्यापार के नाम पर
बेचारे बर्बरताओं के शिकार हो रहें हैं
आज अनगिनत लोग
भीड़तंत्र रूपी हिंसा के शिकार हो रहें हैं
अंकुश लगाना जरूरी है इसपर
इस हिंसक प्रवृति के हत्थे
अक्सर असहाय गरीब गुरबे ही चढ़ रहें हैं
आज अनगिनत लोग
भीड़तंत्र रूपी हिंसा के शिकार हो रहें हैं
औसतन भीड़ जब उग्र रूप ले लेता है
इसका व्यवहार एक खास तरह से
क्रूरता से भरपूर होता है
कई मौकों पर बर्बरताओं की
हदे पर कर गए हैं
आज अनगिनत लोग
भीड़तंत्र रूपी हिंसा के शिकार हो रहें हैं
अंकुश लगाना जरूरी है इनपर
कई बार निहत्थे निर्दोष ही
इस भीड़तंत्र रूपी हिंसा के हत्थे चढ़ गए हैं
आज अनगिनत लोग
भीड़तंत्र रूपी हिंसा के शिकार हो रहें हैं   

सरिता प्रसाद

हार जीत



हार जीत
चला रहे हैं हथगोले
एक दूसरे की टोली पर
हर कोई मुँह खोले खड़ा है
एक भी मौका के तलाश में
हर कोई यह सोच रहा है
दोष एक दूसरे पर मढ़ने को
दामन बचाकर कोई अपना
बगल से हाथ मिलाता है
कोई चेहरा न दिखलाकर
हाय पीछे छुप जाता है
चल रहा है धमाचौकड़ी  
देखो कैसे शामियाने में
आने वाले चुनाव के मद्दे नजर
सभी हैं अपना – अपना बनाने में
खेल यह पकड़न पकड़ाई का में
देखेँ कौन जीत पाएगा
आने वाले चुनाव का परिणाम
ही स्पष्ट कर पाएगा  

सरिता प्रसाद  


Thursday 19 July 2018

मेरे अल्फाज़

आओ ठोस कदम उठाएँ हम

Sarita Prasad
3 कविताएं
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आओ ठोस कदम उठाएँ हम
टूट जाए वो क्रूर हाथ, उठने से पहले
सहम जाए वो, वहशी नजर डालने से पहले
अस्तित्व ही, मिटा डालो उनका
इस धरती पर बोझ हैं ये
नारी जाति को जो देखते हैं
ऐसी घृणित निगाहों से
बार – बार ही क्यों आखिर
ऐसा सुनने में आता है
फिर लुट गई आज एक नारी
फिर एक ने अस्मत खोया
असुरक्षित हैं बेटियाँ आज भी
कठोर कानून बनने पर भी
वहशियों को कहाँ आज भी
रत्ती भर भय सताता है
हर दो चार वही वाकया
फिर से सुनने में आता है
आखिर अब इस दरिंदगी का
सही इनाम क्या होगा
आज नहीं हम संभले अगर तो
कल अंजाम क्या होगा
जब भी कोई जिद्दी बीमारी
शरीर में घर कर जाता है
रोग प्रतिरोधक क्षमताएँ मिलकर ही
उस रोग को दूर भगाता है
एकता की ताकत के बल पर
एक ठोस कदम उठाएँ हम
इतने भयग्रस्त हो जाएँ ये
गिरी सोच रखने वाले
ऐसी नीच हरकत करने से पहले ही इनकी,
भय से रूह काँप जाए

- सरिता प्रसाद