Tuesday 20 June 2017

हार-जीत


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               हार-जीत



आज लोगों ने खेल को,
खेल नहीं एक युद्ध बना डाला है ।
खेल का मैदान खेल का मैदान नही ,
युद्ध का मैदान बना डाला है ।
खिलाड़ी बेचारा क्या करे ,
खेल तो हमेशा हार जीत का होता है ।
इसे इसी रूप मे न देख कर ,
हजारों उम्मीद इससे पाल लेते हैं ।
अपेक्षाएँ इतनी जबरदस्त होती है ,
इसकी जैसे कोई सीमा नही ।
परिस्थितियाँ चाहे जो हो ,
पिच पर जाकर कोई समझे ,
परिस्थिति क्या होती है ।
न जाने कितने विज्ञापन ,
बढ़ा चढ़ा कर पेश करना ,
मिडिया का भी एक अपना ही रंग है ।
वक्त से पहले ही जीत का जश्न मनाना ,
ये सबसे बड़ी लापरवाही है ।
कर्म किया नही उसका गुणगान ,
शुरू हो जाती है ।
जो अच्छा करेगा अच्छा पाएगा ,
मेहनत करेगा तो फल पाएगा ,
यही तो अटल सत्य है ।
सबसे पहले खेल को खेल समझो ,
हार जीत का सम्मान करो ,
फिर जाकर जीतने वाले का गुणगान करो ।
तभी तो जीत रंग लाएगा ,
जश्न जीत का मनाने मे मजा आयेगा ।
खामखा इन हरकतों पर ,
खिल्लिया उड़ाए जाते हो ।
हार जाने पर ,
औंधे मुह लौट आते हो ।

Monday 5 June 2017

जीत


जीत 




धुआँधार   खेलकर ,रणबांकुरों ने रण मे  ।रौंध डाला विरोधी के अभिमान को ।फन उठाकर खड़ा रहता है जो हरपल ,
रौंध डाला उस फन के शान को ।बार बार डसना है फिदरत  जिसका ,
अब भी तो संभल जाओ ।देखकर सामने वाले कि ताकत ,

अब तो पीछे हट जाओ ।क्यों करते हो जोरा - जोरी ,
समेट लो अपने हाथों -  पैरों  को ।हम मे दम है जिसके हर दम में दम है ।समझ ले इसके मान को ।शांति मार्ग से तु भी जी ले ,
हमको भी जी लेने दे ।काट के सिर को क्या सुखी रहोगे ,

सुख तो है सौहार्द में ।प्यार से जी ले प्यार से रह ले ,
छोड़ दे झुठी शान को ।अपना तो कर्म और धर्म यही है ,
शांति और सौहार्द का । ,
अगर जो देखा बुरी नजर से ,
उनका हाल बुरा कर देते हैं ।ज्ञात न हो औकात जो उसको ,
औकात याद दिला देते हैं ।




सरिता प्रसाद 
5-06-2017