भीड़तंत्र
आज अनगिनत
लोग
भीड़तंत्र रूपी
हिंसा के शिकार हो रहें हैं
राजनीतिक
हो या संस्कृति के
अफवाहों
के हो या जातिवाद के
भिन्न –
भिन्न कारणो के हत्थे चढ़ रहें हैं
आज अनगिनत
लोग
भीड़तंत्र
रूपी हिंसा के शिकार हो रहें हैं
कभी डायन
के नाम पर
कभी बच्चा
चोरी के नाम पर
कभी चोरी, जेबकतरे
तो कभी
गोवंश व्यापार के नाम पर
बेचारे बर्बरताओं
के शिकार हो रहें हैं
आज अनगिनत
लोग
भीड़तंत्र
रूपी हिंसा के शिकार हो रहें हैं
अंकुश
लगाना जरूरी है इसपर
इस हिंसक
प्रवृति के हत्थे
अक्सर
असहाय गरीब गुरबे ही चढ़ रहें हैं
आज अनगिनत
लोग
भीड़तंत्र
रूपी हिंसा के शिकार हो रहें हैं
औसतन भीड़
जब उग्र रूप ले लेता है
इसका
व्यवहार एक खास तरह से
क्रूरता
से भरपूर होता है
कई मौकों
पर बर्बरताओं की
हदे पर कर
गए हैं
आज अनगिनत
लोग
भीड़तंत्र
रूपी हिंसा के शिकार हो रहें हैं
अंकुश
लगाना जरूरी है इनपर
कई बार
निहत्थे निर्दोष ही
इस भीड़तंत्र
रूपी हिंसा के हत्थे चढ़ गए हैं
आज अनगिनत
लोग
भीड़तंत्र
रूपी हिंसा के शिकार हो रहें हैं
सरिता
प्रसाद