Friday 27 July 2018

भीड़तंत्र


भीड़तंत्र
आज अनगिनत लोग
भीड़तंत्र रूपी हिंसा के शिकार हो रहें हैं  
राजनीतिक हो या संस्कृति के
अफवाहों के हो या जातिवाद के
भिन्न – भिन्न कारणो के हत्थे चढ़ रहें हैं
आज अनगिनत लोग
भीड़तंत्र रूपी हिंसा के शिकार हो रहें हैं
कभी डायन के नाम पर
कभी बच्चा चोरी के नाम पर
कभी चोरी, जेबकतरे
तो कभी गोवंश व्यापार के नाम पर
बेचारे बर्बरताओं के शिकार हो रहें हैं
आज अनगिनत लोग
भीड़तंत्र रूपी हिंसा के शिकार हो रहें हैं
अंकुश लगाना जरूरी है इसपर
इस हिंसक प्रवृति के हत्थे
अक्सर असहाय गरीब गुरबे ही चढ़ रहें हैं
आज अनगिनत लोग
भीड़तंत्र रूपी हिंसा के शिकार हो रहें हैं
औसतन भीड़ जब उग्र रूप ले लेता है
इसका व्यवहार एक खास तरह से
क्रूरता से भरपूर होता है
कई मौकों पर बर्बरताओं की
हदे पर कर गए हैं
आज अनगिनत लोग
भीड़तंत्र रूपी हिंसा के शिकार हो रहें हैं
अंकुश लगाना जरूरी है इनपर
कई बार निहत्थे निर्दोष ही
इस भीड़तंत्र रूपी हिंसा के हत्थे चढ़ गए हैं
आज अनगिनत लोग
भीड़तंत्र रूपी हिंसा के शिकार हो रहें हैं   

सरिता प्रसाद

हार जीत



हार जीत
चला रहे हैं हथगोले
एक दूसरे की टोली पर
हर कोई मुँह खोले खड़ा है
एक भी मौका के तलाश में
हर कोई यह सोच रहा है
दोष एक दूसरे पर मढ़ने को
दामन बचाकर कोई अपना
बगल से हाथ मिलाता है
कोई चेहरा न दिखलाकर
हाय पीछे छुप जाता है
चल रहा है धमाचौकड़ी  
देखो कैसे शामियाने में
आने वाले चुनाव के मद्दे नजर
सभी हैं अपना – अपना बनाने में
खेल यह पकड़न पकड़ाई का में
देखेँ कौन जीत पाएगा
आने वाले चुनाव का परिणाम
ही स्पष्ट कर पाएगा  

सरिता प्रसाद  


Thursday 19 July 2018

मेरे अल्फाज़

आओ ठोस कदम उठाएँ हम

Sarita Prasad
3 कविताएं
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आओ ठोस कदम उठाएँ हम
टूट जाए वो क्रूर हाथ, उठने से पहले
सहम जाए वो, वहशी नजर डालने से पहले
अस्तित्व ही, मिटा डालो उनका
इस धरती पर बोझ हैं ये
नारी जाति को जो देखते हैं
ऐसी घृणित निगाहों से
बार – बार ही क्यों आखिर
ऐसा सुनने में आता है
फिर लुट गई आज एक नारी
फिर एक ने अस्मत खोया
असुरक्षित हैं बेटियाँ आज भी
कठोर कानून बनने पर भी
वहशियों को कहाँ आज भी
रत्ती भर भय सताता है
हर दो चार वही वाकया
फिर से सुनने में आता है
आखिर अब इस दरिंदगी का
सही इनाम क्या होगा
आज नहीं हम संभले अगर तो
कल अंजाम क्या होगा
जब भी कोई जिद्दी बीमारी
शरीर में घर कर जाता है
रोग प्रतिरोधक क्षमताएँ मिलकर ही
उस रोग को दूर भगाता है
एकता की ताकत के बल पर
एक ठोस कदम उठाएँ हम
इतने भयग्रस्त हो जाएँ ये
गिरी सोच रखने वाले
ऐसी नीच हरकत करने से पहले ही इनकी,
भय से रूह काँप जाए

- सरिता प्रसाद