Thursday 19 January 2017

गणतंत्र दिवस

गणतंत्र दिवस
Related image

चलो उठो वीरो जवानों
आज फिर से वो दिन आया है,
आज फिर से तिरंगा लहराया है ।
नव शुर जग में छाया है,
आज फिर से तिरंगा लहराया है ।
आजादी का मूल मंत्र को,
हर जन-जन को समझाना है ।
देश हमारा सारे जहाँ से न्यारा है,
नई सोच और नया सवेरा
इस धरती पर लाना है ।
नई सोच और नई दिशा,
से ईंट से ईंट सजायेंगे,
फिर से हम देश को अपने
सोने की चिड़ियाँ बनायेंगे ।
आतंको को धूल चटाकर
भ्रष्टाचार मिटाना है,
बेरोजगारी और अशिक्षा
मिटाकर गरीबी मिटाना है ।
भारत की इस माँ बहनों का
मिलकर लाज बचाना है,
शांति और सुरक्षा का
सुंदर साम्राज्य बसाना है ।
देश की खातिर जान लुटाने,
सरहद पर है जवान खरे,
क्यों न हम इस देश के अंदर,
इन जैसा ही कर्म करें ।
श्वेत रंग सी शांति होगी
केशरिया सा दमकेगा,
हरियाली सी खुशियाँ होगी
जैसे खेत लहराता है ।
चलो उठो वीरो जवानों
आज फिर से वो दिन आया है,
आज फिर से तिरंगा लहराया है ।

सरिता प्रसाद

सुनहरी यादें

सुनहरी यादें 
 
आज फिर खिड़कियों के झरोखों से
चहचहाट सी सुनाई दी मेरे कानों में
शायद सच है कोई है सपना
कहीं बर्तनों की खनक
गुनगुना गई मेरे कानों में
कानों का धोखा था
या किसी के आने का इंतजार
कभी झुरमुठ सी पेड़ पौधे यहाँ हुआ करते थे
उनकी डालों पर खग - विगह कलरव करते थे
कट गए सारे के सारे झुरमुठ
रह गए बनते भवनों की खटपट
अब तो यहाँ सन्नाटा है
बस ईंट पत्थरों का बसेरा है
जान कहाँ बेजान है यह
बस बसते शहरों की शान है यह
जान तो उन झुरमुठों में समाया करते थे
जब वहाँ खग - विगह चहचहाया करते थे
आज भी उनकी याद आती है
फ़िजा में सरगम सी लहराती है
मन का उपवन हरा भरा हो जाता है
वातावरण भी यहाँ का मनोरम हो जाता है
सुबह की धूप उनकी सरगम सुन उगा करती थी
शाम उनकी सरगम सुन डूबा करती थी
अब तो बस सन्नाटा पसरा है
कब सुबह हुई कब शाम कहाँ पता चलता है
आज फिर से खिड़कियों के झरोखों से

 चहचहाहट सी सुनाई दी मेरे कानों में। 
सरिता प्रसाद 
20-01-2017  

Tuesday 3 January 2017

सुनहरी उड़ान



सुनहरी उड़ान
_________
सुनहरे पंखो वाली तितली,
तुझे उड़ने की चाह है।
अनगिनत अनजाने राह में,
तुझे खिलने की चाह है।
तु परिंदा मनचली हो,
सुहाने सपने बुनने की चाह है।
उड़ जा उड़ती रहना नील गगन में,
तेरा रंग बिखरा है जहान में,
तुझे रंग में रगने की चाह है।
जा जा चूम ले गगन को ,
हवाओं में झूमने की चाह है।
सुनहरी राहें राह देख रही तेरी,
तुझे तेरी मंजिल पाने की चाह है।
सिंघासन पुकार रहा है तुझे,
कब से तुझे इसे पाने की चाह है।
वक्त आया है तेरा तुझे बस ,
सुनहरे पंखो से उड़ान भरने का इंतजार है।

सरिता प्रसाद 
03-01-2017


Sunday 1 January 2017


Image result for new year greetings in hindi

नव वर्ष की लालिमा


नव वर्ष की लालिमा संग
हर घर स्वर्णिम सुमन खिले
खुशियों की बाहर हो
हर मन - उपवन सुमन खिले
हर सपना साकार हो
खुशियों का भंडार मिले
हर रिश्तों का रंग चटक हो
एकता का भाव जगे
प्यार जगे जन - जन के मन में
एक सुंदर संसार सजे
आतंकों का नाश हो
शांति और सद्भाव जगे
देश हमारा सुंदर उपवन हो
जहां हर खुशियों के फूल खिले
बेईमानी और भ्रष्टाचार के अंत से
बेरोजगारी और अशिक्षा के विनाश से
स्वर्णिम किरणों का उदय हो
शिक्षा के शृंगार से
नव युग का नव निर्माण हो
सुख शांति चहुंओर व्याप्त हो
नव वर्ष की लालिमा संग
देश का नव निर्माण हो

सरिता प्रसाद
01.01.2017