जीत
धुआँधार खेलकर ,रणबांकुरों ने रण मे ।रौंध डाला विरोधी के अभिमान को ।फन उठाकर खड़ा रहता है जो हरपल ,
रौंध डाला उस फन के शान को ।बार बार डसना है फिदरत जिसका ,
अब भी तो संभल जाओ ।देखकर सामने वाले कि ताकत ,
अब तो पीछे हट जाओ ।क्यों करते हो जोरा - जोरी ,
समेट लो अपने हाथों - पैरों को
।हम मे दम है जिसके हर दम में दम है ।समझ ले इसके मान को ।शांति मार्ग से तु भी जी ले ,
हमको भी जी लेने दे ।काट के सिर को क्या सुखी रहोगे ,
सुख तो है सौहार्द में ।प्यार से जी ले प्यार से रह ले ,
छोड़ दे झुठी शान को ।अपना तो कर्म और धर्म यही है ,
शांति और सौहार्द का । ,
अगर जो देखा बुरी नजर से ,
उनका हाल बुरा कर देते हैं ।ज्ञात न हो औकात जो उसको ,
औकात याद दिला देते हैं ।
सरिता प्रसाद
5-06-2017
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