ये कैसी न्याय व्यवस्था है
जहाँ दुराचारी बेलगाम घूम रहे हैं
दुष्प्रवृतियों की बेइन्तहाँ हो गई है
असुरक्षा जहाँ घर कर गई है
जहाँ आतताई दिन दहाड़े
गोली बारी कर रहे हैं
ये कैसी न्याय व्यवस्था है
मनचले खुलेआम मनमानी कर रहे हैं
न कोई रोक है न कोई टोक है ...
जहाँ हर नारी असुरक्षित है
जहाँ प्रत्येक स्त्री ही भयग्रस्त है
ये कैसी न्याय व्यवस्था है
स्वतंत्रा सिर्फ नाम की रह गई है
नारी को अबला समझ
कभी इस गली कभी उस शहर
उसके अस्मत से खेल
उसकी हत्या भी कर रहे हैं
ये कैसी न्याय व्यवस्था है
श्री कृस्ण राम की नगरी में
जहाँ नारी का सम्मान नहीं
उस ऋषि मुनियों कि भूमि
के
सम्मान का जाने क्या होगा
वेदों के ज्ञान से
सिंचित
इस देश का जाने क्या होगा
उस आने वाले नव सृजन के
स्वर्णिम भविष्य का जाने क्या होगा
ये कैसी न्याय व्यवस्था
है
सरिता प्रसाद
सहः सुन्दर, विचारणीय....
ReplyDeleteवाह!!!
ओज पूर्ण rachna
ReplyDeleteवाह ! बहुत सुंदर प्रस्तुति !
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद आपका
ReplyDeleteसुन्दर!!!
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद आप सभी का
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