Wednesday 3 January 2018

न्याय व्यवस्था

न्याय व्यवस्था 


ये कैसी न्याय व्यवस्था है
जहाँ दुराचारी बेलगाम घूम रहे हैं
दुष्प्रवृतियों की बेइन्तहाँ हो गई है
असुरक्षा जहाँ घर कर गई है
जहाँ आतताई दिन दहाड़े
गोली बारी कर रहे हैं
ये कैसी न्याय व्यवस्था है
मनचले खुलेआम मनमानी कर रहे हैं
न कोई रोक है न कोई टोक है ...
जहाँ हर नारी असुरक्षित है
जहाँ प्रत्येक स्त्री ही भयग्रस्त है
ये कैसी न्याय व्यवस्था है
स्वतंत्रा सिर्फ नाम की रह गई है
नारी को अबला समझ
कभी इस गली कभी उस शहर
उसके अस्मत से खेल
उसकी हत्या भी कर रहे हैं
ये कैसी न्याय व्यवस्था है
श्री कृस्ण राम की नगरी में
जहाँ नारी का सम्मान नहीं
उस ऋषि  मुनियों कि भूमि के
सम्मान का जाने क्या होगा
 वेदों के ज्ञान से सिंचित
इस देश का जाने क्या होगा
उस आने वाले नव सृजन के
स्वर्णिम भविष्य का जाने क्या होगा
ये  कैसी न्याय व्यवस्था है
सरिता प्रसाद

6 comments:

  1. सहः सुन्दर, विचारणीय....
    वाह!!!

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  2. वाह ! बहुत सुंदर प्रस्तुति !

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  3. बहुत बहुत धन्यवाद आपका

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  4. बहुत बहुत धन्यवाद आप सभी का

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