हिन्दी दिवस
हिन्दी ही हमारा आधार है
इसमे ही है छुपा हुआ
संस्कृति और संस्कार है
भले ही पाश्चात देशों ने
जाते – जाते हम पर भी
छाप छोड़ गए है अपनी
पूर्ण रुपेण हावी होने को
जो अब भी तैयार है
परंतु हमे अपने अस्तित्व को
यूँ ही नही खोना होगा
इसे बचाए, रखने को
अथक प्रयास करना होगा
हिन्दी भाषा आज भी कई क्षेत्रों
में
दिखा रही है अपनी प्राथमिकता
मातृभाषा का यह महत्व देख
सचमुच मन हर्षाता है
हमें अपनी पहचान को यूँ ही
धूमिल नही होने देना होगा
बल्कि इसके प्रचार प्रसार में
अद्भुत योगदान देना होगा
इसे प्रफुल्लित प्रोत्साहित
करने को
अथक प्रयास करना होगा
सरिता प्रसाद
अथक प्रयास तो करना ही होगा
ReplyDeleteहिन्दी देश में हिन्दी का वो मान नहीं है जो उसे मिलना चाहिए
उम्दा प्रस्तुति
मातृभाषा के महत्व से संबंधित यह कविता निःसंदेह सराहनीय है
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