Friday 2 February 2018

एकता की ताकत



एक ही माटी के बने हैं सभी
हिन्दू मुस्लिम सिख  ईसाई
भांति – भांति के धर्म हैं यहाँ
भांति – भांति के हैं संस्कार
सबकी रगो में बह रहा है
एक ही रंग के रक्त धार
एक धरा है एक है पानी
एक हवा है एक ही भाषा
रंग रूप सब एक ही जैसे
भेद नहीं जैसे हो भाई – भाई
फिर क्यूँ करते हो आपस में अनबन
एक राष्ट्र है एक तिरंगा
बाँट रहे क्यों तिनका – तिनका
भारत माँ का सभी दुलारा
इनको सभी सपूत है प्यारा
सभी इनके आँखों का तारा
रोता है माता की आँखें  
लड़ते देख अपने सपूतों को
एक ही गृह के हम सब वासी
एक मुट्ठी के हैं अँगुली हम
अलग –अलग गर यह हो जाएँ
एकता की डोर कहाँ रह जाए
मुट्ठी में होती है ताकत
तभी ऊँचा रहता है मस्तक
देखकर, तना हुआ मस्तक
हो जाती है हर मंथरा परास्त
कभी किसी के बहकावे मे न आना
अपनी ताकत को न गवाना
चाहते हैं सभी तोड़ना अपना घर
घर फोरवे से नजर बचाना
और ज्यादा मजबूती घर में लाना
सकारात्मक सोच अपनाकर
एकता को और घनिष्ठ बनाना
ना कभी होगा कोई अनबन
एकता और प्रेम भाव से
घर की नीव को मजबूत बनाना
ना  कोई आँधी इसे उड़ाए
ना कोई तूफान इसे हिलाए
चैन और सुकून प्रेम में है बसता
इसको खोया जीने को तरसता
बहकावे को दिल पे न लाना
भड़कावे को हवा में उड़ाना
प्रेम भाव से मिलजुल कर सब
प्यारा सा एक घर बसाना
इसके आगे नाम पटल पर
प्यारा हिंदूस्तान लिखवाना ।
  
सरिता प्रसाद    

4 comments:

  1. उत्कृष्ठ एवं उत्तम। देश की भावनाओं का सही मूल्यांकन।

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  2. बहुत सुंदर रचना

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  3. बहुत ही सुंदर सन्देश है रचना में | रचना राष्ट्रीयता की भावना से ओत -प्रोत है | सचमुच यदि सभी भेद भाव भुलाकर सभी देश हित में कर्म रत रहें तो कितना अच्छा है | हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं आदरनीय सरिता जी | सादर --

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  4. धन्यवाद आप सभी का

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