Friday 9 February 2018

आखिर कब तक
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आखिर कब तक ये माताएँ
अपना लाल खोती रहेगी
कब तक ये पत्नियाँ
पति के शहादत पर रोती रहेगी
आखिर कब तक ये बच्चे
पितृ छाया विहीन होते रहेंगें
आतंक परोसी का
दिनोदिन बढ़ रहें है
साहस और तेवर इनके
दिन रात चढ़ रहें हैं
कब तक यूँ ही चलेगा
शिलशिला शहादतों का

एक - एक कर भारत माता
वीर पुत्र खो रही है
रोको विराम लगाओ
कोई तो कदम उठाओ
दुस्साहसियों का साहस
अब और बढ़ने न पाए
इनके कुकृत्यों से पहले हम
कोई ठोस कदम उठाएं
सरिता प्रसाद 

1 comment:

  1. काफी अच्छा। उत्कृष्ट

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