अपनों की पहचान
पहचानो तुम्हारा, कौन है रक्षक
पहचानो तुम्हारा, कौन है भक्षक
भटक रहे हो तुम सब रास्ते से
कर रहे हो उनको ही चोटिल
जो है, तुम्हारा हित चाहने वाला
जो है, तुम्हारा ही रखवाला
जीस देश के, तुम सब वासी
उसी देश का वो भी वासी
फिर कैसे वो तुम्हारा दुश्मन
आँखों पर से पट्टी हटाओ
सही साथी को तुम पहचानों
दुश्मन के बहकावे में न आकर
कौन है अपना कौन पराया
वास्तविक रूप इनकी पहचानों
यह देश तुम्हारा हम हैं तुम्हारे
अपने को अलग – थलग न मानों
इसकी मिट्टी के रंग में, तुम सब रंग जाओ
विरोध करो उन हिंसक लोगों का
इन संग खुद को हिंसक न बनाओ
नौजवान इस देश के हो तुम सब
देश के हित कुछ करके दिखाओ
चलो हर कदम सही रास्ते पर
जीवन को अपने व्यर्थ न गंवाओ
आतंकियो, का मकसद है
इस देश में आतंक फैलाना
इनके मोहरे तुम सब न बनकर
असली - नकली को पहचानकर
सही राह तुम सब अपनाओ
छोड़ – छाड़ कर पत्थरबाजी
मिलकर सेना का हाथ बटाओ
देश रक्षा हित योगदान देकर
अपने जीवन को सार्थक बनाओ
सरिता प्रसाद
बहुत उम्दा
ReplyDeleteबेहतरीन अभिव्यक्ति